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Microgreen Farming at home: घर पर उगाएं माइक्रोग्रीन, सुपरफूड खेती से पाएं बंपर कमाई

आजकल की बदलती जीवनशैली में सेहतमंद भोजन की मांग तेजी से बढ़ रही है। लोगों के खानपान में पौष्टिक और ताजगी से भरपूर खाद्य पदार्थों का चलन तेजी से बढ़ा है, जिसमें माइक्रोग्रीन्स का नाम सबसे पहले आता है। अगर आप अपने घर से ही खेती शुरू कर कमाई करना चाहते हैं, तो माइक्रोग्रीन फार्मिंग आपके लिए बेहतरीन विकल्प हो सकता है।

क्या हैं माइक्रोग्रीन?

माइक्रोग्रीन पौधों की शुरुआती अवस्था की छोटी पत्तियाँ होती हैं, जो बीज से अंकुरित होते ही ताजगी से भरपूर होते हैं। ये अनाज, सब्जियाँ या दालों के बीज से उगाए जाते हैं और 7-14 दिनों के अंदर तैयार हो जाते हैं। जैसे मूली, सरसों, मूंग, चना, मटर, मेथी, और शलजम के बीजों को उगाकर इनकी छोटी, हरी पत्तियों को माइक्रोग्रीन के रूप में काटा जाता है।

इनमें पोषक तत्वों की अधिकता होती है, जो इनके सेवन को स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद बनाता है। यह विशेष रूप से कोरोना के बाद से लोकप्रिय हुए हैं, क्योंकि इनसे मिलने वाले पोषण की तुलना में इनकी खेती कम समय में संभव है।

माइक्रोग्रीन के लाभ

माइक्रोग्रीन में लगभग 40% तक अधिक पोषक तत्व होते हैं, जो उन्हें सामान्य सब्जियों और अनाजों की तुलना में ज्यादा लाभदायक बनाते हैं। माइक्रोग्रीन खाने से शरीर को आवश्यक विटामिन्स, मिनरल्स और एंटीऑक्सिडेंट्स मिलते हैं, जो इम्यूनिटी बढ़ाने, पाचन सुधारने और त्वचा को स्वस्थ रखने में मददगार होते हैं। ये छोटे पौधे सैंडविच, सलाद या स्नैक्स के रूप में खाए जा सकते हैं और स्वाद के साथ सेहत भी प्रदान करते हैं।

घर पर माइक्रोग्रीन की खेती का तरीका

घर पर माइक्रोग्रीन उगाना बहुत आसान है। आप इसे किसी भी छोटे गमले, ट्रे या किसी गहरे बर्तन में कर सकते हैं। इस खेती के लिए किसी बड़े फार्म की जरूरत नहीं होती। इसे छोटे से कमरे, बालकनी, या घर की छत पर भी किया जा सकता है।

गमला या बर्तन तैयार करें: सबसे पहले किसी भी छोटे गमले या बर्तन में कोकोपीट या मिट्टी डालें। इसमें थोड़ा ऑर्गेनिक खाद मिला सकते हैं, ताकि पौधों को जरूरी पोषक तत्व मिल सकें।

बीज डालें: इसमें जो भी माइक्रोग्रीन उगाना चाहते हैं, उनके बीजों को मिट्टी पर छिड़क दें। जैसे मूंग, चना, सरसों, मेथी, शलजम आदि के बीजों को आसानी से उगाया जा सकता है।

पानी दें: बीजों को लगाने के बाद मिट्टी को हल्के से गीला कर दें। ध्यान रखें कि पानी ज्यादा न हो, नहीं तो बीज सड़ सकते हैं।

रोशनी की व्यवस्था: माइक्रोग्रीन्स के लिए सूरज की हल्की रोशनी लाभकारी होती है। अगर कमरा धूप वाले क्षेत्र में न हो, तो आप आर्टिफिशियल लाइट्स का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

देखभाल करें: बीज 7 से 14 दिनों के भीतर अंकुरित हो जाएंगे। जब पौधों में 2 से 3 पत्तियाँ आ जाएं, तो इन्हें काटकर प्रयोग में लाया जा सकता है।

माइक्रोग्रीन का व्यवसाय

माइक्रोग्रीन्स की बढ़ती मांग के चलते यह एक फायदे का सौदा बन गया है। अगर आप इसे बड़े स्तर पर करना चाहते हैं, तो घर में एक कमरे को यूनिट के रूप में सेट कर सकते हैं। यहां पर माइक्रोग्रीन उगाने के लिए अलग-अलग ट्रे रख सकते हैं, जिनमें विभिन्न प्रकार के बीज लगाए जा सकते हैं। कमरे में आर्टिफिशियल लाइट की मदद से लगातार उत्पादन किया जा सकता है।

माइक्रोग्रीन्स को स्थानीय सब्जी बाजार, रेस्तरां या जूस बार में बेचा जा सकता है। लोग इन्हें अपनी डाइट में शामिल करना पसंद करते हैं, जिससे इनकी मांग बढ़ रही है। इसके अलावा, आप इनकी पैकेजिंग कर ऑनलाइन भी बेच सकते हैं।

लागत और कमाई

माइक्रोग्रीन की खेती में ज्यादा लागत नहीं लगती है। शुरुआती निवेश में आपको कुछ गमले, बीज, कोकोपीट और आर्गेनिक खाद पर खर्च करना होगा। एक बार सेटअप हो जाने के बाद, हर 10-15 दिनों में इनकी कटाई की जा सकती है। बाजार में माइक्रोग्रीन की कीमत प्रति 100 ग्राम लगभग 50-100 रुपये तक होती है।

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Sai Prakash

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