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सेहत के लिए काल बन रहा है Climate Change, हो सकती हैं कई स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियां

जलवायु परिवर्तन (Climate Change) अब केवल एक पर्यावरणीय समस्या नहीं रह गई है, बल्कि यह मानव स्वास्थ्य के लिए भी एक गंभीर खतरे के रूप में सामने आ रही है। धरती के तापमान में हो रही बढ़ोतरी, मौसम में बदलाव, और प्राकृतिक आपदाओं का प्रकोप सीधे तौर पर हमारी सेहत को प्रभावित कर रहे हैं। बढ़ते तापमान, वायु प्रदूषण, और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न होने वाली संक्रामक बीमारियां हमारे जीवन को और भी चुनौतीपूर्ण बना रही हैं। आइए जानते हैं, जलवायु परिवर्तन से हमारे स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ सकता है।

गर्म तापमान और स्वास्थ्य

गर्मी के बढ़ते प्रभाव से कई स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। गर्मी से संबंधित बीमारियों में हीट स्ट्रोक (heat stroke), डिहाइड्रेशन (dehydration) और अन्य गर्मी से जुड़ी समस्याएं शामिल हैं। अत्यधिक गर्मी में शरीर का तापमान नियंत्रण से बाहर हो जाता है, जिससे हीट स्ट्रोक और डिहाइड्रेशन जैसी गंभीर स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं। इसके अतिरिक्त, गर्मी का प्रभाव दिल पर भी पड़ता है। दिल पर अतिरिक्त दबाव बढ़ता है, जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है। इसके अलावा, बढ़ते तापमान के कारण किडनी की बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है, क्योंकि शरीर से पानी की कमी होने से किडनी पर दबाव पड़ता है।

वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य

जलवायु परिवर्तन का एक और प्रमुख प्रभाव वायु प्रदूषण (air pollution) है, जो सांस संबंधी बीमारियों को जन्म देता है। अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और अन्य श्वसन संबंधी समस्याएं वायु प्रदूषण के कारण बढ़ जाती हैं। वायु प्रदूषण के कारण फेफड़ों में सूजन और संक्रमण हो सकता है, जो फेफड़े के कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों को उत्पन्न कर सकता है। इसके अतिरिक्त, प्रदूषण से आंखों, त्वचा और इम्यून सिस्टम पर भी नकारात्मक असर पड़ता है।

संक्रामक बीमारियों का बढ़ना

जलवायु परिवर्तन से मच्छरों का प्रजनन बढ़ता है, जिससे मलेरिया, डेंगू और जीका जैसी मच्छरों से होने वाली बीमारियां फैल सकती हैं। बढ़ते तापमान और बारिश के कारण मच्छरों के प्रजनन स्थलों की संख्या बढ़ती है, जिससे इन बीमारियों का प्रसार होता है। इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन के कारण खाना और पानी की आपूर्ति भी प्रभावित हो सकती है, जिससे हैजा, टाइफाइड और अन्य जलजनित बीमारियों का खतरा बढ़ता है।

मौसमी घटनाएं और स्वास्थ्य

जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़, सूखा और तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं की संख्या बढ़ रही है, जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरे पैदा करती हैं। बाढ़ के बाद पानी से फैलने वाली बीमारियां, जैसे डायरिया और त्वचा रोग, फैलने का खतरा बढ़ जाता है। सूखा कुपोषण और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म देता है। वहीं, तूफान के बाद चोट लगने और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

गर्भावस्था और बच्चों पर प्रभाव

जलवायु परिवर्तन का असर गर्भवती महिलाओं और बच्चों पर भी पड़ सकता है। प्रदूषण के संपर्क में आने से बच्चों में कन्जेनिटल डिजीज (congenital diseases) होने का खतरा बढ़ सकता है। साथ ही, प्रदूषण बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को प्रभावित कर सकता है। बच्चों में अस्थमा जैसी बीमारियों का खतरा भी बढ़ता है, जो जीवनभर की समस्याएं उत्पन्न कर सकता है।

मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव

जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न होने वाली प्राकृतिक आपदाएं और संकट लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डाल रहे हैं। इस प्रकार की आपदाओं के बाद लोगों में चिंता, तनाव और डिप्रेशन की समस्याएं बढ़ जाती हैं। इसके अतिरिक्त, पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) जैसी मानसिक समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं, जो जीवनभर की मानसिक चुनौतियां पेश करती हैं।

निष्कर्ष

जलवायु परिवर्तन का असर न केवल पर्यावरण पर, बल्कि हमारे स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डाल रहा है। गर्मी, प्रदूषण, मच्छरजनित बीमारियां और प्राकृतिक आपदाओं के कारण स्वास्थ्य समस्याओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। ऐसे में जलवायु परिवर्तन से बचने के लिए न केवल हमें अपने पर्यावरण को बचाने की दिशा में कदम उठाने होंगे, बल्कि हमें अपनी जीवनशैली में भी बदलाव लाने की आवश्यकता है।

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Sai Prakash

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